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मै प्राकृतिक हु - कविता

मै  प्राकृतिक  हु

मै  प्राकृतिक  हु कविता poem kavita
मै  प्राकृतिक  हु 


मै प्राकृतिक हु 
इंसानो को कम समझ में आती हु 
तुम रह रह कर भूल जाओगे 
की मै तुम्हारी ज़िन्दगी हु 
पर मै हर रोज तुम्हारी  सांसे  बनकर तुम्हें याद दिलाऊंगी 
तुम्हारी वासना तुम्हे न  समझने को मजबूर करेगी 
फिर मै तुम्हारी ज़िन्दगी की ज़िन्दगी बनकर तुम्हे याद दिलाऊंगी 
क्योकि मै प्राकृतिक हु
  



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