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माँ - कविता lyrics | poem

माँ 

माँ - कविता lyrics | poem


 रूप तेरा सुनहरा है माँ
तू  सोना मेरा सब कुछ
तेरे बिना दुनिया कोई कैसे देखे 
तू शाम मेरा सब कुछ
 
तुझे ना देखू दिल जलता है माँ 
सब कुछ अधुरा सा लगता है माँ 
दिल मेरा तुमने बनाया 
तेरे लिए धड़कता है माँ 
जो मुझ पर मुसीबत आये 
अपने आंचल में छुपा लेना 
जो डर लग जाए दुनिया से 
मुझे अपनी बाहों से हिम्मत देना 
कभी करती अगर वो गुस्सा 
लगता है तेरे झाओ में हु मै 
तेरा प्यार मुझपे पानी बनकर बरसता और बेहता ही चला जाता 
तुझे ना  देखूं दिल जलता है माँ 
सब कुछ अधूरा सा लगता है माँ 
दिल मेरा तुमने बनाया 
तेरे लिए धड़कता है माँ 


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