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मैं बन रहा हु - हिंदी कविता hindi poem

मैं  बन रहा हु 


मै बन रहा हु 

पापा के  लिए डॉक्टर 

मम्मी के लिए पुलिस ऑफिसर

चाचा के लिए इंजीनियर 

चाची के लिए मैनेजर 

नए नए किरदारों को निभा रहा हु 

मैं बन रहा हु 


मै लिखना चाहता हु 

अपना कहना चाहता हु  

पर कह नहीं पाता 

 कागजो पर सोना  चाहता हु

पर सो नहीं पाता  

स्याहियों में डूब जाना चाहता हु 

पर डूब नहीं पाता  

मै खुद की न सुनकर सबकी सुन रहा हु 

मैं बन रहा हु 


भैया कहते तुमसे ना हो पायेगा 

खड़ी पतवार भी हाथो में आकर बह जायेगा 

रहने दो सब ,चाहे तू जो भी बन जाये रहेगा अपने सपनो का  मारा 

तुम्हारी हालत उन भूखो की तरह है  जिन्हें खट्टे फल सोहाते नहीं

दुनिया का बोझ उढ़ाये सर पर फिर रहा हु 

डॉक्टर  इंजीनियर अपनों के लिए चुन रहा हूँ 

मैं बन रहा हु


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